ट्रंप बोले “हमेशा जीतते हैं”, जनता बोली “चल हट!”

गौरव त्रिपाठी
गौरव त्रिपाठी

अमेरिका की धरती पर रविवार को दो “युद्ध” लड़े गए – एक ट्रंप की जुबान से और दूसरा जनता के जूतों से। अमेरिकी सेना की 250वीं वर्षगांठ पर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सेना को गर्व से संबोधित किया। बोले, “हमारे सैनिक कभी हार नहीं मानते।” इत्तेफाक देखिए, ठीक उसी वक्त वॉशिंगटन डीसी, न्यूयॉर्क और लॉस एंजेलिस की सड़कों पर जनता ने ट्रंप की राजनीतिक हार का जश्न मनाना शुरू कर दिया।

केदारनाथ हेलिकॉप्टर क्रैश: 7 की मौत, मौसम बना दुश्मन

भाषण में ‘बोल बम’ – सड़कों पर ‘चल हट!’

ट्रंप का भाषण कुछ ऐसा था जैसे WWE के एंट्री म्यूजिक के साथ कोई विलेन कहे, “तुम डराओगे? हमारे सैनिक तो तुम्हें सीधा पिटवा देंगे!”

लेकिन जनता का जवाब भी कम नहीं था – “हमने फासिज्म नहीं माँगा था, हमने हेल्थकेयर माँगा था!”

वॉशिंगटन DC में सर्कस और सर्कल दोनों

DC के लोगन सर्कल में जुटे हजारों लोग – ट्रांसजेंडर एक्टिविस्ट, पूर्व सैनिक, छात्र, टीचर और आम नागरिक – सब बोले, “अरे भैया, ये किस दिशा में देश चला रहे हो?”

RefuseFascism.org के बैनर तले निकली रैली में लोगों ने कहा, “हमें सेना की नहीं, लोकतंत्र की रक्षा करनी है।”

लॉस एंजेलिस: ICE की छापेमारी और गर्मी दोनों चरम पर

कुछ ही दिन पहले LA में हुई अवैध प्रवासियों पर ICE की रेड ने बवाल मचा दिया था। 4 दिन लगातार चले प्रदर्शन के बाद ट्रंप ने “हमेशा जीतते हैं” वाला हथियार निकालते हुए 4,000 नेशनल गार्ड और 700 मरीन तैनात कर दिए।

क्योंकि जब सवालों के जवाब न हों, तो टैंक भेज दो।

न्यूयॉर्क: “फिफ्थ एवेन्यू पर भी मार्च हो रहा है!”

जिस सड़क पर ट्रंप का सबसे ज़्यादा गर्व होता है, वहीं हजारों प्रदर्शनकारी मार्च करते दिखे।

क्या सेना का गर्जना, जनता के नारों को दबा पाई?

ट्रंप की बातों में आत्मविश्वास था, पर जनता के नारों में आत्मा थी। एक पूर्व सैनिक ने मंच से कहा –
“मैंने वर्दी पहनकर देश की रक्षा की है, न कि तानाशाही को पालने के लिए।”

लेबनान का हवाई क्षेत्र, इसराइल-ईरान टकराव से मचा हड़कंप

Related posts